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बोलों ना पापा

कविता : बोलों ना पापा

वो सब लोग मुझसे कहते हैं, ये मेरा घर नहीं!
आप सब लोग कहते हो,  ये तेरा घर नहीं!!
क्या हमारा कहीं भी कोई घर नहीं होता है?
बोलों ना पापा लड़कियों का घर कौन सा होता है।।

मेरी हर एक गलती पर वो बोलते हैं,
तेरे घर वालों ने क्या यही सिखाया है।
हर कोई क्यों आपके जैसा नहीं होता है?
बोलों ना पापा लड़की होना गुनहा होता है।।

एक रिश्ते ने मेरी सारी आज़ादी छीन ली,
आपका दिया सरनेम मुझसे मेरी पहचान छीन ली।
क्या शादी का रिश्ता इतना अजीब होता है?
बोलों ना पापा यही लड़कियों का नशीब होता है?

मुझे पढ़ा लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा कर दिया,
मुझे पाल पोश के किसी ग़ैर के हवाले कर दिया।
कोई कैसे हमारी इस ज़िन्दगी का हकदार होता है?
बोलों ना पापा आपका दिल सच में इतना बड़ा होता है??

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24 Comments

Neelam josi

21-May-2022 03:49 PM

Very nice 👍🏼

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nikksinghnikhil

21-May-2022 04:30 PM

Thank you

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Seema Priyadarshini sahay

19-May-2022 06:07 PM

बेहतरीन

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nikksinghnikhil

20-May-2022 08:44 AM

Ji shukriya apka

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Haaya meer

19-May-2022 12:53 PM

Amazing

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nikksinghnikhil

19-May-2022 03:23 PM

Thank you

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